शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बड़ेमुरमा, जगदलपुर (बस्तर, छत्तीसगढ़) के युवा एवं इको क्लब के छात्र-छात्राएं एनसीईआरटी, भोपाल के निर्देश में “अपने आसपास के पौधों का समुदाय द्वारा उपयोग एवं महत्व” विषय पर एक लघु शोध कार्य कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी बलिराम बघेल, डीएमसी अखिलेश मिश्रा, विकासखंड शिक्षा अधिकारी मान सिंह भारतद्वाज, मार्गदर्शन में के यह शोध बस्तर क्षेत्र के समृद्ध पारंपरिक ज्ञान को समझने और संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

छात्रों ने स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से आदिवासी समूहों से संवाद कर उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले पौधों की जानकारी एकत्र कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में उन्होंने इमली, महुआ, सागौन, साल, सरई, , बहेरा, बेल और चार जैसे औषधीय और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पौधों का अध्ययन किया जा रहा है ग्रामीणों ने बताया कि ये पौधे न केवल पोषण और स्वास्थ्य के लिए बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी उपयोग किए जाते हैं ग्राम पंचायत बड़े मुरमा के स्थानीय समुदाय के साथ बात कर जानकारी एकत्रित करने का काम कर रहे हैं। विद्यार्थियों ने समुदाय से प्राप्त जानकारियों का डेटा सर्वे कर विभिन्न पौधों के उपयोग और प्रभाव को वर्गीकृत किया। इसके साथ ही उन्होंने स्थानीय आयुर्वेद विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त कर पौधों की पहचान और उनके औषधीय गुणों की जानकारी को और सटीक बनाया जा सकता है।

शोध का उद्देश्य न केवल पारंपरिक ज्ञान को सहेजना है, बल्कि इसके जरिए स्थानीय समुदाय को जैव विविधता के संरक्षण और सतत विकास के प्रति जागरूक करना भी है। लगातार बढ़ रहे पर्यावरण प्रदूषण का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा रहा है छात्रों ने पाया कि समुदाय द्वारा सदियों से अपनाई गई यह परंपरा पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायक रही है। शोध कार्य पूर्ण होने के बाद, विद्यार्थी रिपोर्ट और प्रस्तुतिकरण के माध्यम से अपने निष्कर्ष साझा करेंगे। इससे न केवल बस्तर क्षेत्र के पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित किया जाएगा, बल्कि भविष्य में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े प्रयासों को भी बल मिलेगा। स्कूल प्रबंधन और स्थानीय समुदाय ने इस पहल को सराहा और उम्मीद जताई कि यह शोध आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक साबित होगा। यह कार्य इको क्लब प्रभारी मनीष कुमार अहीर के मार्गदर्शन में संपन्न हो रहा है।