दलपत सागर स्थित आर्ट गैलरी में शनिवार दिनांक 12 / 04 /2025 को नव जनरंग के द्वारा नाटक “दलिया ” का मंचन किया गया । बेहद ही मर्मस्पर्शी नाटक पर उपस्थित दर्शकों ने नाटक की सराहना करते हुए कहा, कलाकारों की अदाकारी ने जान डालते हुए नाटक को जीवंत बनाया । ऐसे आयोजन समय-समय पर किए जाने चाहिए ।

दालिया एक प्रेमकथा है। युद्ध, हिंसा प्रति हिंसा, सत्ता के मद, राजनीति के घातों-प्रतिघातों के बीच यहाँ प्रेम अंकुरित होता है। इस प्रेम की निष्कलुषता और पवित्रता में तपकर मनुष्य का अहं पिघलता है और मानवीय संवेदनाओं में ढलकर जीवन को नए अर्थ देता है। जो नैसर्गिक भावनाएँ ओर संवेदनाएँ जीवन की यात्रा में छूट जाती हैं या नष्ट हो जाती हैं, वे हमारे भावी जीवन के गर्भ में अपना बीज छोड़ जाती हैं।

रवीन्द्रनाथ टैगोर की कथा ‘दालिया’ के माध्यम से इस नाटक में ऐसे ही बीजों के अंकुरण का दृश्य-काव्य रचने का प्रयास किया गया है। यहाँ प्रकृति है, और है प्रकृति से मनुष्य के गहन और आत्मीय सम्बन्ध की रूप-छवियों। यह नाटक गहन एकान्त के बीच भीड़ के कलरव और भीड़ के बीच एकान्त की नीरवता की तलाश है। यहाँ इतिहास पारम्परिक रूप से उपस्थित नहीं है। यहाँ इतिहास के पगचिन्ह हैं और इन्हीं पगचिन्हों के सहारे नाटक के चरित्र अपनी यात्रा पर निकलते हैं।

कलाकार – निर्मल सिंह राजपूत, रहमत शेख वालिया, गायत्री आचार्य, शिवप्रकाश सी.जी., मनीष श्रीवास्तव, माही कश्यप, प्रिंस पानीग्राही, जी. संभव, राम बघेल, अंकित दुबे। विशेष योगदान – प्रशांत दास, आभा सामदेकर, जी. अधिश्री, माही कश्यप, जी. संभव, विनेश..